महाकुंभ 2025: पाकिस्तान और तिब्बत के लिए पारित प्रस्ताव का रहस्य
महाकुंभ 2025: प्रयागराज महाकुंभ में बौद्ध भिक्षुओं की शोभायात्रा से सनातन और बौद्ध धर्म की एकता का संदेश
प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार को बौद्ध भिक्षुओं की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो दुनिया को सनातन और बौद्ध धर्म की एकता का संदेश दे रही थी। इस ऐतिहासिक अवसर पर दुनियाभर के भंते, लामा, बौद्ध भिक्षु और सनातन धर्माचार्य एकजुट हुए। शोभायात्रा का समापन जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि के प्रभु प्रेमी शिविर में हुआ, जहां तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया गया।
तीन प्रस्ताव हुए पारित इस शोभायात्रा के दौरान तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए:
- बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोका जाए।
- तिब्बत को स्वायत्तता दी जाए।
- सनातन और बौद्ध धर्म के बीच एकता को और बढ़ावा दिया जाए।
भैयाजी जोशी का संदेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने इस कार्यक्रम में कुंभ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कुंभ का संदेश संगम, समागम और समन्वय का है। यहां गंगा, जमुना और सरस्वती मिलती हैं, जिससे कोई भेदभाव नहीं दिखता। संगम का अर्थ है एक नई शुरुआत।” उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ में अलग-अलग धर्मों और मतों के संत मिलकर संवाद करते हैं, जो समाज को एकजुट करने में मदद करता है।
तिब्बत की रक्षा मंत्री का बयान निर्वासित तिब्बत की रक्षा मंत्री गैरी डोलमाहम ने कहा, “यह पावन भूमि सनातन और बौद्ध धर्म के बीच प्रेम और एकता को बढ़ाने के लिए एक अहम कदम उठा रही है। यहां पर किए जा रहे प्रयास ऐतिहासिक हैं, जो शांति और सौहार्द की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।”
यह महाकुंभ हर किसी के दिलों में एकता और भाईचारे का संदेश छोड़ने का एक बेहतरीन अवसर बना।
मेरे विचार:
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में सनातन और बौद्ध धर्म के बीच जो एकता देखने को मिली, वह बहुत ही सुंदर थी। बौद्ध भिक्षुओं की शोभायात्रा ने यह दिखाया कि दोनों धर्म एक साथ मिलकर शांति और प्यार का संदेश दे सकते हैं।
तीन अहम प्रस्तावों पर चर्चा की गई:
- बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को बंद किया जाए।
- तिब्बत को स्वायत्तता दी जाए, ताकि वे अपनी समस्याओं पर खुद निर्णय ले सकें।
- सनातन और बौद्ध धर्म के बीच की एकता को और मजबूत किया जाए।
भैयाजी जोशी ने कुंभ के महत्व पर बात की। उन्होंने कहा कि कुंभ का संदेश है संगम, यानी विभिन्न धर्मों और लोगों का मिलना। जैसे गंगा, यमुन और सरस्वती नदियां संगम पर मिलती हैं, वैसे ही अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ आकर समाज में एकता का संदेश देते हैं। जब संत आपस में मिलते हैं, तो यह आम लोगों को भी एकजुट करता है।
तिब्बत की मंत्री गैरी डोलमाहम ने भी इस मौके पर कहा कि यह आयोजन सनातन और बौद्ध धर्म के बीच प्रेम और शांति बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
साधारण शब्दों में, इस कार्यक्रम ने यह दिखाया कि अलग-अलग धर्मों के लोग मिलकर शांति, प्यार और एकता का संदेश दुनिया में फैला सकते हैं।