आरबीआई का नया फैसला: रेपो रेट में कटौती से क्या बदलेगा आपके लिए?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती करने का फैसला लिया है। यह कटौती बाजार की उम्मीदों के मुताबिक है और पिछले लगभग पांच वर्षों में पहली बार की गई है। हालांकि, आरबीआई ने मौद्रिक नीति का रुख “न्यूट्रल” यानी संतुलित रखा है, ताकि भविष्य में परिस्थितियों के अनुसार फैसले लिए जा सकें।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान:
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि महंगाई दर अब अपने लक्षित स्तर के करीब आ गई है, और एमपीसी ने सर्वसम्मति से दरों में कटौती करने का निर्णय लिया है, जबकि मौद्रिक नीति का रुख वही रखा है।

11 बैठकों के बाद बदलाव:
लगभग 11 बैठकों तक रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने के बाद, आरबीआई ने फरवरी 2025 में इसे घटाने का फैसला लिया है। यह कदम इस बात के संकेत हैं कि आर्थिक विकास धीमा हो रहा है और मुद्रास्फीति 4% के लक्ष्य के करीब पहुंच रही है।

मई 2020 के बाद पहली बार कटौती:
आरबीआई ने मई 2020 में आखिरी बार रेपो रेट में 0.40% की कटौती की थी, जो 4% तक पहुंची थी। अब, लगभग पांच साल बाद, आरबीआई ने फिर से दरों में कटौती की है, जिससे अर्थव्यवस्था को राहत मिली है।

यह कदम अब कर्ज सस्ता बना सकता है और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। लगभग पांच साल बाद रेपो रेट में कटौती की गई है, जो इस बात का संकेत है कि आरबीआई आर्थिक स्थिति पर नजर रखते हुए लचीलापन दिखा रहा है।

  1. महंगाई का नियंत्रण: महंगाई दर अब अपने लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है, जो इस बात का संकेत है कि आरबीआई के कदम प्रभावी रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, क्योंकि महंगे सामान की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी।
  2. आर्थिक विकास: अर्थव्यवस्था की धीमी गति को देखते हुए रेपो रेट में कटौती किया गया है। इससे बैंकों को सस्ते दरों पर कर्ज मिलेगा, जिससे कंपनियों और व्यक्तियों के लिए लोन लेना आसान हो जाएगा। इसका प्रभाव रोजगार सृजन, उपभोक्ता खर्च और समग्र आर्थिक गतिविधियों पर पड़ सकता है।
  3. बाजार की उम्मीदों के अनुरूप कदम: इस फैसले ने बाजार की उम्मीदों को सही साबित किया है, जो आरबीआई से दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे थे। इससे निवेशकों और आम लोगों का विश्वास बढ़ेगा, और यह संकेत देगा कि आरबीआई अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए तैयार है।

हालांकि, यह फैसला तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम देख रहे हैं कि अर्थव्यवस्था के लिए कई तरह की चुनौतियां बनी हुई हैं। मुद्रास्फीति का नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि दोनों को समान रूप से ध्यान में रखते हुए यह कटौती की गई है। ऐसे में यह कदम सही दिशा में उठाया गया लगता है, लेकिन इसके परिणाम समय के साथ सामने आएंगे।

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